जब तुमने की होगी आत्महत्या,
तब कितना कठोर किया होगा मन,
कितनी सही होगी वेदना,
संभवतः तुम्हारे अंगों ने भी,
तुमसे कहा होगा कि,
‘एक बार फिर सोच लो‘,
परंतु तुमने निष्ठुरता का
प्रमाण देते हुए,
अनदेखा कर दिया होगा,
कदाचित तुमने यह भी
नहीं सोचा होगा कि,
तुम्हारे मृत शरीर को
देखकर अवस्थाहीन
हो जाएगी तुम्हारी ‘जननी‘,
तब, चहुंदिशि होगी,
करूणा और क्रंदन
जो चीख-चीख कर
कह रहे होंगे-‘‘आखिर
क्यों की तुमने आत्महत्या‘‘।
तब कितना कठोर किया होगा मन,
कितनी सही होगी वेदना,
संभवतः तुम्हारे अंगों ने भी,
तुमसे कहा होगा कि,
‘एक बार फिर सोच लो‘,
परंतु तुमने निष्ठुरता का
प्रमाण देते हुए,
अनदेखा कर दिया होगा,
कदाचित तुमने यह भी
नहीं सोचा होगा कि,
तुम्हारे मृत शरीर को
देखकर अवस्थाहीन
हो जाएगी तुम्हारी ‘जननी‘,
तब, चहुंदिशि होगी,
करूणा और क्रंदन
जो चीख-चीख कर
कह रहे होंगे-‘‘आखिर
क्यों की तुमने आत्महत्या‘‘।