धरती में छूटे, यम के दूत,
मानव के वेश में, जिंदा भूत।
खाकी छूरा, खादी तलवार,
सर्वविदित है, दोनों में धार ।
एक काटे जेब, एक काटे देश,
मौन हो साधे, भक्ति का वेश ।
दोनों ही करते, बातें पूरी,
मुह में राम, बगल में छूरी।
खुद ही देखें अपनी बरबादी,
रक्षक अपने, खाकी और खादी।
मानव के वेश में, जिंदा भूत।
खाकी छूरा, खादी तलवार,
सर्वविदित है, दोनों में धार ।
एक काटे जेब, एक काटे देश,
मौन हो साधे, भक्ति का वेश ।
दोनों ही करते, बातें पूरी,
मुह में राम, बगल में छूरी।
खुद ही देखें अपनी बरबादी,
रक्षक अपने, खाकी और खादी।