सुक्खा खेती खार, झने कर आना कानी। रोवत आज किसान, देख ले बरखा रानी। सुनले आज पुकार, गिरादे अब तो पानी। नइहे जग मा जान, बिना पानी जिनगानी।
-हेमलाल साहू