सियासत की गाड़ी में
बैलों सा जुत ले,
असभ्यता की मूर्ति बने,
संस्कृति के पुतले,
शर्मों हया लाज से
इनकी है दूरी,
अर्दली उन्हें बना रहा
कइयों की मजबूरी,
तब तक रहेगी भीड़
जब तक है योग,
एक दिन लुटेगा तू,
देखेंगे न लोग
बैलों सा जुत ले,
असभ्यता की मूर्ति बने,
संस्कृति के पुतले,
शर्मों हया लाज से
इनकी है दूरी,
अर्दली उन्हें बना रहा
कइयों की मजबूरी,
तब तक रहेगी भीड़
जब तक है योग,
एक दिन लुटेगा तू,
देखेंगे न लोग