ढोंगी बन साधु फिरे,
आज गली घर-द्वार,
मीठे-मीठे बोल कर,
ठग रहे जग-संसार,
ठग रहे जग-संसार,
पाखंडी का धर भेष,
ऐसे दुर्जन देखकर,
अब रो रहा है देश,
हे मनुज सुन तो जरा,
सोते से अब जाग,
संतों का मान बचा,
पाखंडी का कर त्याग...
आज गली घर-द्वार,
मीठे-मीठे बोल कर,
ठग रहे जग-संसार,
ठग रहे जग-संसार,
पाखंडी का धर भेष,
ऐसे दुर्जन देखकर,
अब रो रहा है देश,
हे मनुज सुन तो जरा,
सोते से अब जाग,
संतों का मान बचा,
पाखंडी का कर त्याग...