लइका मन अब बड़े होगें,
अपन गोड़ म खड़े होगें,
घिनहा-सुघराई के जानकार हें,
उनला कुछू कहना बेकार हे,
अरे! सियानी के खम्भा गड़े होगे,
लइका मन अब बड़े होगे।
इंटरनेट के भक्कम ज्ञान हे,
सभ्यता-संस्कृति उतान हे,
जुन्ना मुड़ी मन सब अढ़े होगे,
लइका मन अब बड़े होगे।
अपन गोड़ म खड़े होगें,
घिनहा-सुघराई के जानकार हें,
उनला कुछू कहना बेकार हे,
अरे! सियानी के खम्भा गड़े होगे,
लइका मन अब बड़े होगे।
इंटरनेट के भक्कम ज्ञान हे,
सभ्यता-संस्कृति उतान हे,
जुन्ना मुड़ी मन सब अढ़े होगे,
लइका मन अब बड़े होगे।