06 April 2020
जैन समाज ने किया राशन वितरण
31 March 2020
घेचौरा ल धरहिच्चे
दिया बरत हे जतका बेर, अंजोर तो करहिच्चे
तेल सिरा जाही तभो ले, बाती दम भर बरहिच्चे
रेस्टीप के जिनगी ए, भागत ले कस के भाग ले,
आखिरी बेर यमराज, तोर घेचौरा ल धरहिच्चे...
27 February 2020
01 August 2019
जलता रावण
हे मनुष्य!
तुम रावण को,
क्या जलाओगे!!
वह तो,
खुद ही जलता है,
तुम्हें दिखाने के लिए,
कि बुराई कितनी भी,
भयानक क्यों न हो,
एक दिन,
जल ही जाती है,
मेरी तरह,
किंतु तू नासमझ!
जहाँ से रावण,
बुराई खत्म करने की,
प्रेरणा देता है,
तू वही से,
सारी बुराइयों को,
दुगुने दुस्साहस से,
पुनः ग्रहण करता है,
कदाचित रावण,
इसीलिए चुपचाप,
जल जाता है,
क्योंकि तूने,
रावण की सीमा भी,
लांघ दी है!!
27 April 2019
धाम कहाँ है
का धाम कहाँ है.....
बता दे कलियुग श्याम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है,
मैं भटकूँ हरदम जोगी सा,
देख हाल मेरा है रोगी सा,
बस आँख से आँसू बहते हैं,
अब लोग तो पागल कहते हैं,
जिसे लेने जग में आया था,
वो पावन सुंदर नाम कहाँ है।
बता दे कलियुग श्याम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है।
रघुकुल की मर्यादा लेकर,
मानव धर्म की शिक्षा देकर,
विश्व विजय कर दिखलाया,
राष्ट्र धरम को सिखलाया,
सिया भी तुमसे पूछ रही है,
बता दे कलियुग राम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है।
सत्य वचन नित रहता था,
हृदय से अमृत बहता था,
परहित करने नत हो जाते,
जनकल्याण में रत हो जाते,
बहुजन हित की पूजा का,
सन्ध्या या वह शाम कहाँ है,
बता दे कलियुग श्याम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है...
26 April 2019
20 April 2019
न्याय बन जा
आवाहन करता हूँ मैं,
सुकुमारी सुकन्याओं का,
पग-पग अग्नि परीक्षा देती,
सबला बालाओं का,
ज्ञात हो कि
कानून तुम्हारा रखवाला,
नहीं है,
यहाँ चीरहरण,
रोकने वाला,
गोपाला नहीं है,
अपनी रक्षा तुम्हें,
स्वयं करनी होगी,
खुद की पीड़ा खुद ही,
हरनी होगी,
इसलिए,
लक्ष्मी, दुर्गा, काली बनो,
स्वयंभू और बलशाली बनो,
मनचलों में अपार
भय बाँट दो,
दुश्चरित्रान्धों को,
टुकड़ों में काट दो,
खड्ग ले बस,
लड़ते ही रहना,
पर लाचार विधान से,
कभी उम्मीद मत करना,
कृष्ण भी तुम हो,
द्रोपदी भी हो,
काल भी तुम हो,
सदी भी हो,
अब से एक नया,
अध्याय बन जा,
खुद के लिए खुद ही,
न्याय बन जा।
आ बेटा चुरगे खाबे
आ बेटा चुरगे खाबे,
खाले, तहाँ ले डिलवा डहर मेछराबे,
गाँव म घूम-घूम इतराबे,
अउ काटपत्ती-चौरंग म,
कमाके घलो तो लाबे,
आ बेटा चुरगे खाबे।
ददा हर कोल्हू कस बइला,
कमावत हे,
सुक्खा रोटी ल,
रसमलई बरोबर खावत हे,
तेखर पीठ म,
लदना कस लदाबे,
आ बेटा चुरगे खाबे।
दाई हर बनी म जात हे,
तोला जनमाहे तेखर,
लागा ल छुटात हे,
सुआरी के कमई घलो ल,
मुसुर-मुसुर हलाबे,
आ बेटा चुरगे खाबे।
घर वाले मन ल,
लहू के आँसू रोवाबे,
ददा के कमाए मरजाद ल,
माटी म घलो तो मिलाबे,
दाई-ददा तो हक खागे,
उंखर जिये के संउख बुतागे,
ठोमहा भर पानी म तो उन बुड़गे,
अउ काय गंगा ले के जाबे,
आ बेटा चुरगे खाबे।
18 April 2019
धुएँ में
भारत सरकार ने कानून बनाया,
'रेलवे परिसर में बीड़ी-सिगरेट पीना,
दण्डनीय अपराध है'
हम ट्रेन में सफर कर रहे थे तभी,
एक महोदय को हमने बीड़ी पीते देखा,
हमने उन्हें कानून की दुहाई देकर रोका,
'कि बीड़ी पीना दण्डनीय अपराध है'
ये शरीर के लिए व्याध है,
उसने हमें उलटकर दिया-
"हम कमाता है तो उड़ाता है,
इसम तेरे बाप का क्या जाता है?
उनकी बातों को सुनकर,
हमारा मुँह बन्द हो गया,
अब सिगरेट और बीड़ी का गंध,
मजबूरी में सुगंध हो गया,
हम सोचने लगे- 'देश के लोगों में,
सरकार के प्रति कैसा जुनून है,
हर जगह सिगरेट के धुएँ में,
आसानी से उड़ रहा कानून है।
17 April 2019
सुकून
वह पूंजीपति भिखारी,
दर-दर भटकता था,
'सुकून' की तलाश में,
दूर-दूर तक,
ताकता चला जाता था,
तब एक गरीब जो,
धनी था 'सुकून' का,
बिठाया उसको,
'सुकून' की चारपाई पर,
परोसा भी उसने,
मक्के की रोटी में,
धनिया की चटनी का 'सुकून'
नींद भी आई तो,
सपने में देखा,
यही तो था,
दुर्लभ, 'सुकून'