25 March 2017

ठाकुर देव नवागढ़ का इतिहास

इस ग्राम में मानाबंद तालाब के ठीक किनारे एक बहुत है प्राचीन  गस्ती  का वृक्ष है ।जिस वृक्ष के नीचे 300 वर्षो से लगातार धुप वर्षा और ठंड को झेलते हुए खुले आसमान में आश्चर्य किन्तु सत्य ग्राम के प्रधानदेव जिसे ग्राम देव व ठाकुर देव के नाम से जाना जाता है ।जिसकी पूजा आराधना के बिना किसी भी प्रकार का शुभ कार्य, धार्मिक कार्य का शुभारंभ श्रीगणेश नहीं होता ।


मानाबंद के दक्षिण पार में ठाकुर देव का स्थान है, जो राजा द्वारा स्थापित किया गया था। कई बार चबूतरा का मरम्मत किया गया है, बाद में शासन द्वारा राशि मिलने पर पक्का आसन बनाया गया है, शादी के समय, गौरा के समय ज्योत जवरा के समय, ठाकुर देव में नारियल फोड़कर हुम् धुप देते है व दीपक जलाते हैं। ठाकुर देव गांव का हर प्रकार से रक्षा करते हैं। पुनः स्थापना दिनांक 30/08/2004

अत: सर्व प्रथम पूजा अर्चना वंदना में ''सर्व ग्राम देवेभ्यों नम:  ऐसा कहा जाता है ।  सबसे पहले ग्राम देवता की ही पूजा होती है ।


लक्ष्मीनारायण बालाजी मंदिर नवागढ़ का इतिहास



नवागढ़ ग्राम के लिए यह अत्यंत गर्व की बात है कि पूरे 250 किमी के दायरे में केवल एक ही बालाजी का मंदिर है जो कि नवागढ़ में है.

यह मंदिर  लगभग 200 साल प्राचीन है,यहाँ  प्रसिद्ध बालाजी की मूर्ति है 
जो कि जुड़ावनबंद तालाब के दक्षिण में स्थित है,  कुलेश्वर जोशी मालवीय के पिता ने  लक्ष्मी नारायण मंदिर बनवाया था। 

 पास में शंकर जी का मंदिर है जिसमे तीन शिव लिंग विराजमान है।

 पास में जुड़ावन बंद तालाब के किनारे ही  में शिव जी की मूर्ति एवं हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है।

21 March 2017

श्री शमी गणेश मंदिर, नवागढ़


श्री गणेश मंदिर - गांव के बीच गोंडवाना राजा ने श्री गणेश मंदिर का निर्माण सन 188 में आरम्भ किया था, जो सन 646 में पूर्ण हुआ, यह शिलालेख में वर्णित है। गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्री गणेश अंक के अनुसार नवागढ़ के श्री गणेश मंदिर का निर्माण श्री तात्या जी विश्वम्भर पन्त मोहरे ने करवाया था। 



शमी वृक्ष- मंदिर के सामने अति प्राचीन एक शमी का वृक्ष है, जो दुर्लभ वृक्ष है।  जिसकी पत्तिया गणेश जी की पूजा के काम आती है, इसका महत्त्व भारत प्रसिद्ध है। इस दुर्लभ वृक्ष के पत्ते को हवन पूजन के लिए दूर-दूर के लोग आकर ले जाते हैं, साथ ही इसकी शाखाएं भी यज्ञ में विशेष रूप से प्रयोग की जाती है। इनके बिना पूजा-पाठ अधूरा माना गया है। शमी वृक्ष की मान्यता शनि देव के रूप में है। 
शमी वृक्ष हमारे नवागढ़ के इतिहास में ऐसा ऐतिहासिक वृक्ष है जिसकी नित्य सूर्योदय के पूर्व पूजा अर्चना करने से शारीरिक, मानसिक कष्ट अतिशीघ्र दूर हो जाते है । मान्यता है कि शमी वृक्ष की परिक्रमा गणेश जी की परिक्रमा के तुल्य है ।  





 मंदिर में बहुत ही सरल, सौम्य, सिद्ध, आकर्षक, आभायुक्त श्री गणेश जी की मूर्ति आसन में विराजमान है।
जीर्णोध्दार- श्री गणेश मंदिर का जीर्णोद्धार तीन बार हो चुका है, इस मंदिर का प्रथम जीर्णोद्धार सन 1880  में तथा द्वितीय बार सन 1936 में व तीसरी बार 2009-10 में वृहद् रूप से किया गया। मंदिर भी अष्ट कोणीय बना है।








 इस मंदिर के विषय में गोरखपुर से प्रकाशित धार्मिक पत्रिका ''कल्याण के गणेश अंक में ''मध्यप्रदेश के गणेश स्थान शीर्षक पृष्ठ क्रमांक 438 में उल्लेखित किया गया है।  
सभामंडपसभामंडप में शिव पंचायत, राधा कृष्ण और राम जानकी लखन जी और हनुमान जी का मूर्ति स्थापित की गयी है और जो गणेश जी के आठ प्रसिद्ध मूर्तियां है, उनकी भी चित्र लगाया गया। दिनांक 20/01/2013 को इनका प्राणप्रतिष्ठा किया गया है।





अष्टकोणीय कुआँ- इस मंदिर के दक्षिण भाग में एक अष्टकोणीय प्राचीन कुआँ है।
गणेश मंदिर को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पर्यटन स्थल घोषित किया गया है।
पुरातात्विक प्रमाण- पहले श्री गणेश मंदिर के सामने श्री हनुमान जी का मंदिर था, जिसे श्री गणेश मंदिर के जीणोद्धार के समय सभामंडप में ले जाने के हेतु तुड़वाया गया। तब वहाँ पर हनुमान जी के मंदिर के नीचे अष्टकोणीय कुण्ड  तथा  कुण्ड  में  प्रवेश हेतु सीढ़ी निकली, जिसे अभी बंद कर दिया गया है। 

चरण पादुका- हमारे ग्राम नवागढ़ के गणेश मंदिर के पूर्व दिशा में 50 मीटर की दूरी पर अति प्राचीन पद चिन्ह है। लोगो का कहना है कि  वह पद चिन्ह किसी विशिष्ट शिरोधार्य गुरू,पंडित अथवा देवदूत की होगी। 


  

16 March 2017

माँ शक्ति देवी मंदिर नवागढ़ का इतिहास

बायी  ओर सती जी व दायीं ओर दुर्गा जी 

इतिहास- मंदिर के पुजारी जी के अनुसार, श्री जयंत आचार्य, दिलीप आचार्य ये महाराष्ट्र के निवासी थे, नवागढ़ में इनकी संपत्ति थी। इसी स्थान पर पति के वियोग में उनके परिवार की स्त्रियां सती हुई थी। उसी के यादगार में यहाँ मूर्ति की स्थापना की गयी थी और एक चबूतरा बनवाया गया था।  

कालांतर में इसका नाम सती मंदिर से शक्ति मंदिर पड़ गया। जयंत आचार्य के मार्गदर्शन से ही जनता के सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया गया है।

सती दुर्गा जी का ही स्वरूप है। माँ दुर्गा के दुर्गा सप्तसती में 108 नाम है, जिनमे सती भी एक है।

मंदिर का निर्माण - पहले चांदाबन तालाब के किनारे, इमली झाड़ के पास आदि देवी माँ शक्ति का छोटा सा मंदिर था




बाद में जिसे चंदा कर एवं ट्रक वाले जब ईटा, पत्थर, रेती, गिट्टी इस मार्ग से ले जाते तो, यहाँ हर ट्रिप में गिराया करते थे, मुरता वाले भी बहुत सहयोग देकर मंदिर, कलश, ज्योति कक्ष एवं हनुमान मंदिर बनवाए। 


जिसका तीसरी बार जीर्णोद्वार श्री चैन साहू मुरता के मार्गदर्शन से सन 2012 में हुआ





दोनों नवरात्री में श्रद्धालु लोग ज्योति जलाते हैं, जिसकी संख्या दिनों दिन बढ़ रही है, यहाँ आने वाले की सारी मनोकामनाए पूर्ण होती है।

ज्योति कलश- सन 1989 में मात्र एक ज्योति प्रज्वलित होकर सन 2012 मे 365 ज्योति नवरात्री पर्व में प्रज्वलित हुयी है ।





स्रोत:
{1}पुजारी नन्द कुमार मिश्रा जी
{2}सुरेंद्र चौबे जी  
{3}रामनाथ ध्रुव जी 

भैरव बाबा का इतिहास


मूर्ति की स्थापना - महामार्इ के ठीक उत्तर में लगभग 500 मीटर की दूरी पर प्रसिद्धी प्राप्त भैरव बाबा की  मूर्ति आज भी विराजमान  है । राजा समय का मूर्ति क्षतिग्रस्त हो जाने से पुरानी क्षतिग्रस्त मूर्ति को पीपल के निचे रख दिया गया है 





तथा विष्णु प्रसाद मिश्रा महापात्र जी के द्वारा नया मूर्ति लाया गया , मूर्तिकार कार्तिक राम मरकाम (ग्राम-जानो,धमधा)  से सन 1979 में लाया गया, जिसकी  प्राण प्रतिष्ठा पंडित मथुरा प्रसाद पुरोहित द्वारा तांत्रिक विधि से कराया गया है।

मंदिर का निर्माण- पहले चबूतरा छोटा था, उसे श्री बी. एस. भारती, (जो ब्लॉक में इंजिनियर थे), उन्होंने सन 2008 में  मंदिर बनवा कर, पुनः भैरव बाबा की पूजा, पंडित नर्मदा प्रसाद व पंडित अशोक प्रसाद द्वारा करवा कर दिनांक 14/08/2008, दिन-सोमवार को  स्थापना किया ।


भैरव बाबा के पास कष्ट निवारण हेतु भक्तजन अर्जी विनती करते है, उन्हें लाभ मिलता है, वहाँ दोनों नवरात्रि में श्रद्धालु ज्योति जलवाते हैं।
सुरंग- कहा  जाता है पहले महामार्इ के मंदिर से सीधे भैरव बाबा के मंदिर तक तथा भैरव बाबा के मंदिर से लेकर राजा के किले का मुख्यद्वार तक, जहां उसका द्वारपाल रहता था, सुरंग था । 

साथ ही एक और सुरंग था, जो भैरव बाबा के मंदिर से चांदाबन तक जाता था , जिसका उपयोग राजा अपने किले से गुप्तचरों द्वारा पता लगाने के लिए तथा आपातकाल में बाहर निकलने के लिए करते थे ।  मानना है कि राजा नरवरसाय ने इस सुरंग को स्वयं बनवाया था ।  राजा नरवरसाय का 55 वर्ष तक नवागढ़ में राज्य था। 

गढ़काली देवी- भैरव बाबा के बाजू में गढ़काली देवी  है, ऐसा पुजारी बताते है, ये देवी गढ़ की रक्षा करती हैं।

स्रोत:
{1}रामनाथ ध्रुव जी 
{2}सुरेंद्र चौबे जी 

नवागढ़ के सारे हनुमान जी मंदिर का इतिहास

हनुमान जी मंदिर: नगर पंचायत परिसर
श्री हनुमान जी  मंदिर का निर्माण राजा द्वारा कराया गया था, जो लगभग 300 साल प्राचीन है तथा  आज नगर पंचायत नवागढ़ परिसर में स्थित  है ।


कहा जाता है कि मां महामाया देवी, श्री गणेश जी, और श्री हनुमान जी तीनो मंदिर का निर्माण राजा द्वारा तांत्रिक विद्या सिद्धी हेतु कराया गया था ।
पहले इस स्थान के चारों ओर एक बहुत बड़ा परकोटा था तथा दीवाल से घिरा हुआ आहाता था।   इस स्थान पर एक भी था, जिसे ''हनुमान अखाड़ा'' कहा जाता था। उस अखाड़े मे प्रतिदिन कुश्ती का अभ्यास होता था।

कहानी - श्री सुरेन्द्र कुमार चौबे जी बताते है कि सन 1968 की ठंड की रात में जब वे मंदिर के दरवाजे में पूजा करने के लिए प्रवेश कर रहे थे, तो एक 22 साल का युवक उनसे 7 भाषाओं में बात करता था। वे जैसी ही परिचय प्राप्त करने को उधत हुए, उन्हें पूजा करने के बाद परिचय का वचन दिया। जब चौबे जी आरती पूजा करके बाहर निकले तो एक नोट कागज में लिखी हुर्इ थी कि मंदिर का उद्धार अति आवश्यक है।

तत्पश्चात साथियों के प्रयास से मंदिर के  जीर्णोद्धार के लिए एक बजरंग सेवा समिती का गठन किया गया, जिसके 100 सदस्य बने, जिसमें 10रू. मासिक अनुदान तय किया गया । नियमित पुजारी के रूप में स्व पंडित श्री सोहम प्रसाद उपाध्याय को नियुक्त किया गया था, अब उनके पुत्र  मंदिर में पूजा अर्चना करते है ।

तब मंदिर का अल्प जीर्णोद्धार ही हो पाया था,  हनुमान जी की मूर्ति अपने स्थान पर आज भी ज्यों कि त्यों स्थित है, तथा आजपूर्ण रूपेण मंदिर का जीर्णोद्धार हो गया है । वह संत जो अमर संदेश देकर गया था, 26 साल बाद पुन: हनुमान जी के दर्शन कर गदगद हो गए ।
हनुमान जी की यह मूर्ति जाग्रत अवस्था में है।मंगलवार और शनिवार को भक्तजन मंदिर में भजन कीर्तन करते हैं तथा यहाँ शाम सबेरे दोनों वक्त पूजा अर्चना होती  है। मनौती बनाने पर हर कार्य सिद्ध होता है।
इसी तरह इस ग्राम नवागढ़ के सभी देवी देवताओं की मूर्तियां सिद्ध है, जिनकी असीम कृपा से हमारा ग्राम नवागढ़ सुख शांति से अपने गांव के महिमा को मंडित कर रहा है ।{2}

हनुमान जी मंदिर -शासकीय अस्पताल
शासकीय अस्पताल में कर्मचारी मिलकर श्री हनुमान जी का मंदिर 2003 में बनवाए हैं।{1}


हनुमान जी मंदिर-शुकुल पारा
यह मंदिर बहुत पुराना है,पूर्व मूर्ति खंडित होने पर श्री सुशील धर दीवान मूर्ति का पुनः स्थापना कराएं हैं, यह भी मूर्ति बहुत सिद्ध है, लोगों का मनोती पूरा होता है यहां भी समय-समय पर भजन कीर्तन होता है, हनुमान जी का पूजा कौशल धर दीवान सुबह शाम करते हैं। यह मंदिर गिरिजा बंद तालाब के पूर्व पार में बना है।{1}


राम मंदिर परिसर
श्री राम मंदिर परिसर में राम जी के सामने पूर्व में गरुड़जी,पश्चिम में हनुमान जी की मूर्ति है। इसके आलावा राम जी के सम्मुख हनुमान जी का छोटा सा मंदिर है, साथ ही राम मंदिर परिसर में स्थित शिव मंदिर व राधाकृष्ण मंदिर में भी हनुमान जी की मुर्तिया स्थापित है ।{1}



श्री गणेश जी मंदिर परिसर
श्री गणेश जी मंदिर परिसर के सभामंडप में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की गयी है, बता दे कि ये वही हनुमान जी की मूर्ति है , जो पूर्व में श्री गणेश मंदिर के सामने स्थित थी तथा गणेश मंदिर के जिर्णोद्धार के समय जब इस मंदिर हो हटाया गया तो इसी के निचे अष्टकोणीय कुण्ड व उसमे जाने के लिए सीढ़ी निकला था।


पंचमुखी हनुमान जी- बिजली आफिस
सन 2010 में बिजली ऑफिस में दो मंजिला मंदिर बनवाया गया है, जिसमें स्टाफ वालों ने ऊपरी मंजिल में दिनांक 13/07/2010 आषाढ शुक्ल द्वितीया को पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित की है ।{1}




जुड़ावन बंद तालाब के किनारे
जुड़ावन बंद तालाब के किनारे हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है।{1}

चांदाबन तालाब के किनारे
चांदाबन तालाब के पार में पहले इमली झाड़ के पास देवी का चबूतरा था, बाद में जिसे चंदा कर तथा ट्रक वाले ईटा, पत्थर, रेती, गिट्टी लाते तो, वहाँ हर ट्रिप में गिराया करते थे, मुरता वाले भी बहुत सहयोग देकर मंदिर एवं कलश ,ज्योति कक्ष एवं हनुमान मंदिर बनवाए।{1}




मानाबंद तालाब के किनारे
गायत्री देवी एवं शीतला देवी के मंदिरो के बीच में बिहारी बाबा की समाधि है। समाधी से लगा हुआ हनुमान जी की पंचमुखी मूर्ति राम जानकी, लखन, गणेश जी और साई बाबा की मूर्ति ओंकार ताम्रकार द्वारा मंदिर निर्माण कर मूर्ति का स्थापना कराया गया है।{1}

नया तालाब के किनारे
नया तालाब के किनारे में हनुमान जी का छोटा सा मंदिर रामचंद ध्रुव जी ने बनवाया है।{1}



मांगन बंद तालाब के दक्षिण पार
मांगन बंद तालाब के दक्षिण पार में पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति बनवाई हैं, जिसका निर्माण सन 2013 में हुआ।{1}



दाऊ बंद तालाब के पार   




भगनाबंद तालाब के पूर्व भाग में
भगनाबंद तालाब के पूर्व भाग में पंडित सहदेव दुबे द्वारा दक्षिणमुखी श्री हनुमान जी का मंदिर 2014 में बनाया गया है।{1}


थाना परिसर में
दिनांक 22 साल 2016 हनुमान जयंती के दिन शुक्रवार को हनुमान जी का प्राण प्रतिष्ठा किया गया।{1





स्रोत -
{1}रामनाथ ध्रुव जी 
{2} सुरेंद्र चौबे जी 

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